Tuesday, December 8, 2009

पोलियो को मिटाने में जुटी मुसहर जाति

सहरसा(बिहार) : चूहों को निवाला बनाने की आदिम प्रवृत्ति के कारण हिकारत भरी नजरों से देखी जाने वाली मुसहर जाति बिहार में पोलियो विरोधी अभियान का झंडारबरदार बन गई है। गरीबी, निरक्षरता और उपेक्षा का दंश झेलने वाले मुसहर इस राज्य को पोलियो के खिलाफ जंग में भरपूर मदद दे रहे हैं।
जब चार महीने पहले सहरसा जिले में राष्ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना (एनपीएसपी) के तहत पोलियो टीम यहां पहुंची थी तो उसे यह चिंता सताने लगी थी कि यहां मुसहर जाति के लोगों में निरक्षरता का स्तर काफी उच्च होने के कारण उन्हें इस अभियान में सहयोग देने के लिए प्रेरित करना कठिन होगा। पोलियो टीमों को यहां के 112000 से अधिक मुसहरों के साथ संवाद कायम करने में मुश्किलें आने लगीं।
सहरसा के आरापट्टी प्रखंड में मुरली गांव के प्रखंड समन्वयक भगवान चौधरी कहते हैं कि यहां के तकरीबन 95 फीसदी मुसहर अशिक्षित हैं। वे हिंदी नहीं समझते हैं। ऐसे में उन्हें इस अभियान के फायदों से अवगत कराना कठिन था। उन्‍होंने कहा कि चार महीने पहले इस जाति से पांच लोगों का चयन कर उन्हें सामुदायिक समन्वयक के तौर पर प्रशिक्षित किया गया। चौधरी बताते हैं कि इन पांच लोगों को प्रशिक्षित करना भी आसान नहीं था, क्योंकि वे पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन इसके सार्थक परिणाम मिले हैं। अब मुसहर पल्‍स पोलियो अभियान में सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।

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