Tuesday, December 8, 2009

पोलियो को मिटाने में जुटी मुसहर जाति

सहरसा(बिहार) : चूहों को निवाला बनाने की आदिम प्रवृत्ति के कारण हिकारत भरी नजरों से देखी जाने वाली मुसहर जाति बिहार में पोलियो विरोधी अभियान का झंडारबरदार बन गई है। गरीबी, निरक्षरता और उपेक्षा का दंश झेलने वाले मुसहर इस राज्य को पोलियो के खिलाफ जंग में भरपूर मदद दे रहे हैं।
जब चार महीने पहले सहरसा जिले में राष्ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना (एनपीएसपी) के तहत पोलियो टीम यहां पहुंची थी तो उसे यह चिंता सताने लगी थी कि यहां मुसहर जाति के लोगों में निरक्षरता का स्तर काफी उच्च होने के कारण उन्हें इस अभियान में सहयोग देने के लिए प्रेरित करना कठिन होगा। पोलियो टीमों को यहां के 112000 से अधिक मुसहरों के साथ संवाद कायम करने में मुश्किलें आने लगीं।
सहरसा के आरापट्टी प्रखंड में मुरली गांव के प्रखंड समन्वयक भगवान चौधरी कहते हैं कि यहां के तकरीबन 95 फीसदी मुसहर अशिक्षित हैं। वे हिंदी नहीं समझते हैं। ऐसे में उन्हें इस अभियान के फायदों से अवगत कराना कठिन था। उन्‍होंने कहा कि चार महीने पहले इस जाति से पांच लोगों का चयन कर उन्हें सामुदायिक समन्वयक के तौर पर प्रशिक्षित किया गया। चौधरी बताते हैं कि इन पांच लोगों को प्रशिक्षित करना भी आसान नहीं था, क्योंकि वे पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन इसके सार्थक परिणाम मिले हैं। अब मुसहर पल्‍स पोलियो अभियान में सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।

Friday, November 13, 2009

Bihar launches helpline to file RTI complaint

Yet another first in India from Bihar has come to make the Right to Information (RTI), Act, people friendly. This pertains to launching of a
new helpline, by using which people can file complaints against the government officials who harass them for seeking information using the RTI tool.

CM Nitish Kumar dedicated the helpline (0612-2219435) for public use here on Thursday during a programme organised by state information commission (SIC), Bihar, to felicitate the performing public information officers (PIOs).

The CM himself made the first complaint using the helpline against Rajnagar block supply officer in Madhubani district.

"The CM secretariat has received complaint from one Dhirendra Mahto of Karaiya Panchayat in which the complainant claimed that an FIR was lodged against him with the Rajnagar police station in August this year after he tried to seek some information about public distribution system from the the block supply officer," Nitish informed the person attending the call on the newly launched helpline and asked the call attendant to inform his secretary about the action taken. He immediately got a complaint number (0001).

Incidentally, all such complaints received would be monitored directly by the state home secretary and DGP and emphasis would be to expedite the complaint redressal.

"Officials found guilty of harassing applicants would be dealt with sternly and, if needed, the government would not hesitate to dismiss such officials from the service," Nitish told the gathering which responded with thunderous applause.

Nitish also launched the Phase-II of Jaankari which would allow applicants to file RTI applications using e-mail. For this, one needs to open the website biharonline.gov.in/rti in which one would get an icon for filing RTI application through e-mail.

Incidentally, Bihar has the distinction of being the first state in India which set up a call centre, christened `Jaankari' using which applicants file RTI applications by making phone call to the number 155311. It became functional on January 29, 2007.

As many as nine PIOs were felicitated at Thursday's function where Bihar legislative Assembly Speaker Uday Narayan Choudhary, deputy CM Sushil Kumar Modi and chief information commissioner Ashok Kumar Choudhary among others were also present. Chanchal Kumar, secretary to the CM, too was given a special award for his active role in setting up Jaanakari helpline and the helpline launched for registering complaints against officials.

Appreciating the move, Nitish said it would introduce an element of balance as people know the SIC mainly for its pronouncements against the PIOs.

"Now it is upto the PIOs whether they want to be rewarded or punished. There is no third way for them," NitiSh said.

Winners of essay and painting competitions, organised by the SIC to spread awareness about RTI among school and college students, were also felicitated at the function.

Monday, November 9, 2009

गंगा की धारा क्या बदली बिगड़ गए रिश्ते!

आरा। गंगा की धारा बदलने से भोजपुर जिले के बड़हरा व शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के दो दर्जन गांवों की करीब 15 हजार एकड़ जमीन बिहार-यूपी सीमा विवाद में जा फंसी है। आजिज किसानों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाई तो उन्होंने जिलाधिकारी डा. सफीना एएन से बलिया के डीएम के साथ बैठकर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन दिया है।

एक दशक पूर्व राज्य सरकार के निर्देश पर भूमि विवाद निबटाने को भोजपुर एवं बलिया के जिलाधिकारियों की दो बार बैठक हुई, पर कोई हल नहीं निकल सका। जमीन पर वर्चस्व की जंग में अब तक भोजपुर जिले के तीन दर्जन लोगों की हत्या हो चुकी हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रत्येक वर्ष रबी फसल की बुआई एवं कटनी के वक्त तनाव के मद्देनजर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सशस्त्र बल तैनात किया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के दबंग किसान फसल काट लेते है। कृषक नेता भाई ब्रह्मेश्वर, शालीग्राम दुबे, रामईश्वर सिंह बताते है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से भी भोजपुर जनपद के किसानों की जीत हुई, पर उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला नहीं माना। बता दें कि सन् 1882 में गंगा की धारा में परिवर्तन के बाद कटाव में भोजपुर जनपद के दर्जनभर गांवों की 45 हजार आबादी तीन बार विस्थापित हो चुकी है। सीमा विवाद गहराते देख केन्द्र सरकार ने 1970-71 में त्रिवेदी आयोग का गठन कर सीमांकन का आदेश दिया था। आयोग ने गंगा की धारा को मानकर सीमांकन किया परंतु विवाद खत्म नहीं हुआ। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के भोजपुर जनपद की जमीन यूपी में चली गई तो वहां की सरकार राजस्व लेगी, किन्तु स्वामित्व यहां के कृषकों का होगा। इसी तरह की शर्त वहां के कृषकों के लिए भी रखी गयी। कृषकों के अनुसार बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के महुली घाट, मौजमपुर, ख्वासपुर, सलेमपुर, पीपरपांती, त्रिभुवानी, सोहरा, सलेमपुर, सिन्हा, बलुआ, केवटिया, पदमिनिया, मौजमपुर, हेतमपुर, केवटिया, पंडितपुर समेत कई गांवों की खेती योग्य भूमि सीमा विवाद में फंसी है। इसी तरह से शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के नैनीजोर, सोनवर्षा, कारनामेपुर समेत आधा दर्जन गांवों की जमीन पर विवाद है।

बड़हरा के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहते हैं कि बिहार-यूपी सीमा विवाद का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय सहमति जरूरी है। केन्द्रीय स्तर पर वार्ता का आयोजन हो और उसमें बिहार एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा कृषक प्रतिनिधि भाग लेंगे तभी समस्या का हल संभव है। जबकि शाहपुर की विधायक मुनी देवी कहती हैं कि बिहार-यूपी सीमा विवाद का अब तक हल नहीं होने के पीछे केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।
दैनिक जागरण

Sunday, November 8, 2009

नोट्रेडेम एकेडमी गोल्डन जुबली अन्तर विद्यालय एथेलेटिक्स मीट का शुभारंभ

पटना : नोट्रेडेम एकेडमी पेरेन्टस-टीचर्स एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित गोल्डन जुबली अन्तर विद्यालय एथेलेटिक्स मीट का शुभारंभ नोट्रेडेम एकेडमी, पाटलिपुत्रा के मैदान में मुख्य अतिथि संत जेवियर्स स्कूल, पटना के प्रिंसिपल फादर जार्ज द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा आकर्षक मार्च पास्ट निकाला गया। एथेलेटिक्स मीट का प्रारंभ मुख्य अतिथि के साथ विशिष्ट अतिथि बिहार क्रिकेट एकेडमी के निदेशक अमीकर दयाल व विद्यालय की प्राचार्या सिस्टर टेसी, सिस्टर सोनिया, सिस्टर नीता द्वारा गुब्बारा उड़ाकर किया गया। आज संपन्न हुए स्पर्धाओं में कुल 33 पदक प्राप्त कर नोट्रेडम की बालिकाओं ने शानदार शुरूआत की। वहीं संत माइकल, हार्टमैन, जूली स्कूल एवं इंटरनेशनल स्कूल के भी प्रदर्शन सराहनीय रहे।

Tuesday, November 3, 2009

Relief cheques from Bihar govt bounce

KHAGARIA: There could be nothing more embarrassing to the Bihar government: families of at least four of the victims who met watery grave following a boat capsize during Durga Puja festivities have not got any ex gratia payment because the government cheques have bounced.

The tragic mishap in the Kareh river in Khagaria's Alauli block on September 29 had claimed 61 lives. While these many bodies were fished out, villagers claim at least 13 others, who were also aboard, are still missing.

As per the government announcement, cheques for Rs 1.5 lakh each victim were distributed among the bereaved families by Alauli officials.

While most of them had the cheques credited to their bank accounts, four of them have returned homes empty-handed as the local branch of Bank of Baroda refused to accept the cheques.

"All these cheques are of a government account which has no balance," a BoB official told TOI, preferring anonymity.

"We are being harassed for no fault of ours," Jagdish Singh of Fultora village said and added cheques of Dilip Mukhiya, Vakil Sah and Raghubir Sah of his village were also not accepted by the bank.

Khagaria DM Abhay Kumar Singh could not be contacted as he was away on leave and calls to his cellphone went unresponded on Monday evening.

Monday, November 2, 2009

सिसवन में हर सुबह बसता है एक बेगूसराय

सिसवन (सिवान): विज्ञान की तेज गति ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित टोटकों के आगे कभी-कभी धीमी लगती है। सिवान के सिसवन प्रखंड के घुरघाट गांव में ऐसा हीं दिखता है। यहां के लोग सुबह में अपने गांव का नाम नहीं बताते। इसके पीछे यह मान्यता है कि नाम बताने से उस दिन के लिए उनका भाग्य बिगड़ जाएगा। जरूरत पड़ने पर अगर सुबह में गांव का नाम बताना पड़े, तो ग्रामीण 'घुरघाट' के बदले 'बेगूसराय' कह काम चलाते हैं।

गांव में मान्यता है कि अगर प्रात:काल में ग्रामीण इसका नाम लें तो उनका बना काम भी बिगड़ जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार इससे व्यवसाय में घाटा, दुर्घटना, मृत्यु या किसी अन्य परेशानी आदि से सामना होता है या इसके समाचार मिलते हैं। गांव के चंद्रिका लाल शर्मा के अनुसार इस कारण वे व्यवसाय में घाटा भोग चुके हैं। ग्रामीण संतोष शर्मा की मानें तो एक सुबह इस गांव का नाम लेने के कारण वे एक झूठे मुकदमें में फंस गए थे। गांववालों ने कहा कि इस कारण घुरघाट को सुबह में बेगूसराय के नाम से पुकार कर काम चलाया जाता है। आसपास के सभी लोग इस तथ्य को जानते हैं। लेकिन जब कोई अजनबी सुबह में यहां के रास्ते से गुजरते हुए गांव का नाम पूछता है, तब प्रत्युत्तर में बेगूसराय सुन आश्चर्यचकित हो जाता है। उसे लगता है कि सामने वाला व्यक्ति मजाक कर रहा है। आगे बढ़ने पर दूसरा ग्रामीण भी उसी तरह का उत्तर देता है। तब भ्रमित व्यक्ति आगे बढ़ दूसरे गांव जाकर ही इस 'घुरघाट' व 'बेगूसराय' का माजरा समझ पाता है। यह मान्यता न सिर्फ घुरघाट बल्कि आस-पास के गांवों में भी प्रचलित है।

इस टोटके का प्रचलन कब से है, यह गांव के बड़े-बुजुर्ग भी नहीं बता सके। ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा सौ-दो सौ साल पुरानी जरूर होगी। उन्होंने कहा कि घुरघाट नाम में कोई अशुभ नहीं, क्योंकि दिन में इसका उच्चारण करने से किसी को गुरेज नहीं। हा, गांव का नाम सुबह में नहीं लेने की एक परिपाटी चल पड़ी है।

गांव के नाम से जुड़ी इस बदनामी से यहां का युवा वर्ग आहत है। ग्रामीण उमेश तिवारी, संतोश शर्मा व मुखिया पुत्र रिंकू उपाध्याय मानते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में किसी नाम को जुबान पर लाने से किसी का भाग्य नहीं बनता-बिगड़ता। लेकिन वे परंपरा व अंधविश्वास को तोड़ने का साहस नहीं कर पाते हैं। स्थानीय मुखिया कमला देवी भी मानती हैं कि यह अंधविश्वास है।

बहरहाल, अंधविश्वास के जाल में फंसे सिवान के सिसवन प्रखंड में हर सुबह एक बेगूसराय बसता है।

Sunday, November 1, 2009

विश्‍वविख्‍यात सोनपुर मेला आरंभ

सोनपुर (सारण), बिहार । बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रविवार (01 नवंबर) को विश्‍वविख्‍यात सोनपुर मेले का उदघाटन किया। समारोह की अध्यक्षता मेला प्राधिकार के अध्यक्ष सह राजस्व मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने की।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मेले में पंजाब व हरियाणा से पशुओं को लाने के लिए हमारे अधिकारी वहां कैम्प लगाये हैं। सोनपुर मेले को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए राज्‍य सरकार हर संभव प्रयास करेगी। मेला प्राधिकार के अध्यक्ष सह राजस्व मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि मेला प्राधिकार को अधिकार संपन्न बनाया जाएगा। सोनपुर घाट के विकास के लिए चार करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर और राशि दी जाएगी।
इस मौके पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री रामनाथ ठाकुर, लघु संसाधन मंत्री दिनेश प्रसाद, सांसद रामसुंदर दास, विधायक जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, विनय कुमार सिंह, विधायक छोटेलाल राय, आयुक्त एस. शिव कुमार, जिलाधिकारी लोकेश कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक डा. केके सिंह, अपर समाहर्ता मदनजी पांडेय, स्थापना उप समाहर्ता वीरेन्द्र कुमार मिश्र, जनसंपर्क उप निदेशक मुस्ताक अहमद नूरी, डीपीआरओ रवीन्द्र कुमार दिवाकर सहित अन्य मंत्री, विधायक, विधान पार्षद व अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अशोक प्रियदर्शी ने किया।

ANOTHER EXTRAORDINARY ACHIEVEMENT OF KS ANUPAM (IPS)


KS Anupam (IPS) a President’s Police Medal (Gallantry) award winner has got another achievement in Gopalganj Distt. of Bihar. The recovery of Aayush Ranjan on 01.11.2009 is the result of her honest efforts. Aayush, a student of class 3 was kidnapped on 29th. of Oct.,2009. The Aayush Kidnapping case reminded me of anotuer case, which she solved at Saharsa ( Bihar). That was Aakashdeep Kidnapping case. That boy was also recovered. The entire gang was crushed. At that time, I was posted as Bureau Chief of Dainik Jagran at Saharsa.

K.S. Anupam is an engineering graduate from Gitam College, Rishikonda. Her husband Amritraj is now posted as an SP at Bettiah Distt. of BIhar. Anupam and Amritraj are the first IPS couple to win the Gallantry Award. While the latter apparently was honoured in 2005, Anupam is the second lady officer after Dr Geeta Mehta to be awarded with the medal for showing exemplary courage and achieving results in her field. Anupam believes that women are talented and with encouragement from the family, they can set goals and easily achieve them.

Anupam thinks that People should have faith in the police and the system. She thinks, the recovery of Aayush will establish faith of the local people on Gopalganj Police.

गंगू बाई के हंसगुल्लों से लोटपोट हुए सभी

पटना माइक थामे लाल काले परिधान में 'लल्ली' जैसे ही मंच पर आयी, मानो सभी समझ गये कि अब वे लोटपोट होने वाले हैं। तालियों की गड़गड़ाहट और 'लल्ली' का खिलखिलाता चेहरा। उसने हलो पटना तो कहा लेकिन जब पटनावासियों से 'कैसे हैं' पूछने को कहा गया तो उसने खुद ही जवाब दे डाला- ठीक हूं अच्छी हूं! उसकी इस मासूमियत पर सभी हंस पड़े। अपनी इस नन्ही-सी हरकत से उसने जता दिया कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाली गंगू बाई आज भी उतनी ही नादान है जितना कोई अन्य बच्चा।

मंच पर उसका आना था कि शुरू हो गये एक के बाद एक हंसगुल्ले। एक तो मनमोहक व्यक्तित्व, इस पर उसकी प्यारी-प्यारी बातें। सबसे पहले 'लल्ली' उर्फ सलोनी ने टारगेट किया अपने ही अभिभावकों को। पापा को कामचोर बताते हुए उसने कहा कि मम्मी का काम चुरा-चुरा के वे करते रहते हैं। अभी लोगों की हंसी रुकी भी नहीं थी कि उसने बताया कि किस तरह उनका 'लांग ड्राइव' बहुत लम्बा हो गया था। वजह थी ब्रेक फेल! सबसे खास बात थी बार-बार वह बड़े अनोखे अंदाज में ताली बजाने को कह रही थी। 'जोर से बजाओ ताली' कहने के क्रम में वह झुक भी रही थी। यह अदा भी अलग थी। भारतीय नृत्य कला मंदिर के मुक्ताकाश मंच का नजारा शनिवार की देर शाम वाकई अलग था। मौके पर सलोनी ने कविताएं भी सुनायीं। सलोनी ने गंगू बाई को बुलाने की बात की और इस इंतजार में उसने केवल लल्ली का रूप धरा, बल्कि दर्शकों को कई गेस करने को भी कहा। अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सोनिया गांधी, लता मंगेशकर जैसी हस्तियों की मिमिकरी कर उसने सभी से व्यक्तित्व को पहचानने की बात की। आन मासूमी द्वारा आयोजित 'सा रे गा मा पटना 2009' के तहत मशहूर गायक राजा हसन भी यहां मौजूद थे। आसमानी कुर्ते सफेद पाजामे में जलवे बिखेरते हुए राजा ने शुरुआत की 'टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा कि फिर जुड़ ना पाया.. अल्लाह के बंदे हंस दे..' से। सभी इनके साथ गुनगुनाते हुए झूम रहे थे। ठीक बाद बारी आयी 'पिया रे पिया रे..' की। दूसरी बार पटना आये राजा अपना जादू आज भी चलाये जा रहे थे। इस क्रम में तेरे नाम से जी लूं.. पिया हाजी अली.. जय हो.. जैसे गीत उन्होंने गाये। इतना ही नहीं, मौके पर एकता वर्मा जैसे कलाकारों ने नृत्य भी किया। पूर्व विधायक श्याम रजक ने भी मौजूदगी दर्ज की। लखी राय की आवाज ने भी तब मोहा जब उन्होंने 'तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अनजाना..' गाया। राजा हसन ने आज अपना जादू चलाया तो गंगू बाई भी आगे रहीं। विशेष तौर पर बच्चों की भीड़ आज खूब रही। इससे पूर्व आज सलोनी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से भी मुलाकात की। राजद सुप्रीमो ने केवल 'गंगू बाई' को उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं दीं, बल्कि छठ का प्रसाद भी खिलाया। खूब प्यार आशीर्वाद लेकर गंगू बाई वहां से आयीं।
Dainik Jagran, Patna

Sunday, October 11, 2009

पुत्र को लेकर आहत थीं बा

बड़े बेटे हरिलाल के इसलाम धर्म कबूल करने से न केवल महात्मा गांधी बल्कि उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी बेहद आहत थीं। उन्होंने इस संबंध में अपने इस पुत्र के साथ ही उसके मुसलिम दोस्तों को भी पत्र लिखा था।
इन पत्रों में न केवल एक मां की ममता की बेबसी झलकती है बल्कि यह भी पता चलता है कि वह धार्मिक रूप से किस कदर सहिष्णु थीं। बा ने 27 सितंबर 1936 को हरिलाल को लिखे एक पत्र में इस बात पर हैरानी जताई थी कि उसने अपना प्राचीन धर्म क्यों बदल लिया। वह इस बात को सोच-सोच कर भी बेहद दुखी होती थीं कि हरिलाल ने धर्म परिवर्तन के बाद मांस का सेवन शुरू कर दिया होगा।
उन्होंने पत्र में लिखा था कि मुझे कई बार हैरानी होती है कि तुम कहां रहते, कहां सोते हो और क्या खाते हो। हो सकता है कि तुम मांस खाते हो। ऐसी ही अनगिनत बातों ने मेरी रातों की नींद उड़ा दी है।
इन दिनों सुर्खियों में छाई फिल्म 'गांधी माई फादर' में महात्मा गांधी और हरिलाल के संबंधों को चिन्हित किया गया है, लेकिन फिल्म में इन पत्रों का जिक्र नहीं है जो बा के व्यथित मन में झांकने का मौका देते हैं।
बा धार्मिक रूप से सहिष्णु थीं उसका पता भी इस पत्र से चलता है जिसमें उन्होंने हरिलाल से कहा था, 'यह तुम्हारा मामला है। लेकिन मैंने सुना है कि तुम भोले-भाले लोगों से अपना अनुकरण करने को कह रहे हो। तुम धर्म के बारे में क्या जानते हो। तुम अपनी सीमाओं को क्यों नहीं समझ रहे हो।'
बा इस बात से भी बेहद दुखी थीं कि हरिलाल के कारण उनके पति की छवि प्रभावित हो रही है। उन्होंने पत्र में कहा भी था कि लोग इस बात से प्रभावित होते हैं कि तुम अपने पिता के पुत्र हो। मैं तुमसे विनती करती हूं कि जिंदगी में कुछ क्षण ठहरकर इन सब चीजों पर विचार करो और मूर्खतापूर्ण हरकतें बंद करो।
अपने पिता के विशाल व्यक्तित्व के विपरीत जिंदगी भर तमाम उठा पटक झेलने वाले और लगभग भिखारी का सा जीवन बिताने वाले हरिलाल के बारे में कस्तूरबा गांधी को लगता था कि उनके मुसलिम दोस्तों ने उसे इसलाम ग्रहण करने के लिए प्रलोभन दिया।
बा ने हरिलाल के मुसलिम दोस्तों को भी 27 सितंबर 1936 को एक पत्र लिखकर कहा था कि मैं तुम लोगों की कार्रवाई को समझ नहीं पा रही हूं। मैं जानती हूं और इस बात को सोचकर खुश हूं कि बड़ी संख्या में विचारवान मुसलमान और हमारे लंबे समय से दोस्त रहे मुसलिम मित्र इस पूरी घटना की निंदा कर रहे हैं।
बा को कहीं न कहीं इस बात की उम्मीद थी कि धर्मातरण से उनके पुत्र का कुछ भला होगा, लेकिन उन्होंने इस पत्र में लिखा कि मेरे बेटे का भला होने के बजाय मैंने पाया है कि उसके तथाकथित धर्मातरण ने वास्तव में मामले को और बिगाड़ दिया है। कुछ लोग तो इस हद तक चले गए हैं कि उसे मौलवी का खिताब दे दिया जाए। क्या तुम्हारा धर्म मेरे बेटे जैसे व्यक्ति को मौलवी कहलाने की अनुमति देता है।
उन्होंने उनके मुसलिम दोस्तों को समझाते हुए लिखा था कि तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह कतई उसके हित में नहीं है। यदि तुम्हारी इच्छा मुख्य रूप से हमारी हंसी उड़वाना है तो मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना है।
बा के इस पत्र में एक मां की ममता की बेबसी झलकती है। उन्होंने लिखा कि मुझे लगता है यह मेरा कर्तव्य है कि मैं तुम लोगों से भी वही बात दोहराऊं जो मैं अपने बेटे को बता रही हूं कि तुम भगवान की नजर में ठीक नहीं कर रहे हो।

सिवान में बनी थी बिहार की पहली जनता सरकार
सिवान लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने दलविहीन शासन व संपूर्ण क्रांति का दर्शन देकर जो आंदोलन खड़ा किया, उसने निरंकुश लोकतंत्र की चूलें हिला दीं। बौखलाई सरकार ने तब इसका जमकर दमन किया। सन् 1974 में बिहार विधान सभा घेराव के क्रम में उनपर लाठियां बरसीं। आक्रोशित लोकनायक ने तब बिहार में सरकार के समानांतर 'जनता सरकार' बनाने की घोषणा कर दी। सूबे की ऐसी पहली जनता सरकार सिवान जिले के पचरूखी प्रखंड में बनी थी। बाद में नवादा, बिहारशरीफ व जुमई में भी जनता सरकारें बनाई गई।
जयप्रकाश का मानना था कि भारत में सच्चे लोकतंत्र की जगह दलतंत्र स्थापित हो गया है। राजनीतिक दलों की भूमिका से असंतुष्ट जेपी दलविहीन लोकतंत्र चाहते थे। समाज में आमूल-चूल परिवर्तन कर एक आदर्श व वर्ग-विहीन समाज की स्थापना को ले उन्होंने संपूर्ण क्रांति की अवधारणा भी दी। उन्होंने 9 दिसंबर, 1973 को वर्धा में एक अपील जारी कर देश के युवकों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक संगठन बनाने को कहा। जेपी ने सन् 1974 में बिहार आंदोलन की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में 'छात्र संघर्ष समिति' का गठन किया गया। छात्रों व युवाओं की यह समिति 'जनसंघर्ष समिति' में शामिल बुजुर्गो से समन्वय स्थापित कर शंातिपूर्ण आंदोलन कर रही थी। इसी क्रम में 2 से 4 नवंबर, 1974 को जयप्रकाश के नेतृत्व में पटना में विधान सभा का घेराव किया गया, जिसपर सरकार की लाठियां चलीं। इसमें जेपी भी घायल हुए। आहत जेपी ने तब बिहार में सरकार के समानांतर 'जनता सरकार' बनाने का ऐलान कर दिया। प्रखंड व आगे विभिन्न स्तरों पर बनने वाली इस सरकार के पास प्रशासनिक अधिकार तो नहीं होते, लेकिन वह जनमत के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाती। जेपी के आह्वान पर अप्रैल, 1974 में इसके लिए पटना में हुई बैठक में सिवान जिला के छात्र संघर्ष समिति के संयोजक जनकदेव तिवारी ने प्रस्ताव दिया कि ऐसी पहली प्रखंड स्तरीय जनता सरकार जिले के पचरूखी में बनाई जाए। फिर मई, 1975 में सिवान के राजेंद्र खादी भंडार में दादा धर्माधिकारी, आचार्य राममूर्ति व सिद्धराज ढढ्डा, दिनेश भाई व अमरनाथ भाई आदि की मौजूदगी में एक बैठक हुई। इसमें पचरूखी के गांधी हाई स्कूल में 1 जून, 1975 को जनता सरकार की घोषणा करने का निर्णय लिया गया। जनकदेव तिवारी के अनुसार इसके बाद आंदोलनकारियों ने लगातार बैठकें कर प्रस्तावित सरकार की रूपरेखा तय की। जेपी अंादोलन के सिलसिले में बनी 'छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी' के संगठन प्रभारी रहे महात्मा भाई ने बताया कि निर्धारित स्थल पर जैसे ही इस सरकार की घोषणा की गई, वहां मौजूद अंादोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें कवि नागार्जुन, राज इंक्लाब, शहीद सुहरावर्दी, जहीद परसौनी, जेडए जाफरी आदि हस्तियां भी शामिल थीं। इस दौरान स्थानीय दीपेंद्र वर्मा, जनकदेव तिवारी, कुमार विश्वनाथ, हैदर अली, गंगा विशुन साह, मैथिली कुमार श्रीवास्तव, नयन कुमार, रमेश कुमार व अशोक राय सहित महात्मा भाई भी गिरफ्तार किए गए थे। महात्मा भाई ने बताया कि आगे 15 जून, 1975 को नवादा के कौवाकोल व 17 जून को बिहारशरीफ के एकरंगसराय में प्रखंड स्तरीय जनता सरकारें बनीं। फिर 23 जून को जमुई में आचार्य राममूर्ति के नेतृत्व में भी ऐसी सरकार बनी। इसके बाद आपातकाल की घोषणा के साथ जयप्रकाश गिरफ्तार कर लिए गए। आपातकाल के बाद सन् 1977 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी की सरकार को बनवाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन जेपी अपने सिद्धांतों को अमली जामा पहनाने के लिए अधिक दिनों जीवित नहीं रह सके। सन् 1902 के 11 अक्टूबर को सिताब दियारा में जन्में जेपी 8 अक्टूबर, 1979 को देश को शोकाकुल इस धराधाम को छोड़ गए।
- AMIT ALOK